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राजुली और मालूशाही एक नृत्य नाटिका

राजुली और मालूशाही के बारे में कई दंतकथाएं प्रचलित हैं | सबसे अधिक प्रचलित तो यही कथा है कि दोनों राज परिवार के थे और जब ये दोनों अपनी माँ के गर्व में थे तब दोनों राजाओं ने यह कहकर रिश्ता पक्का कर दिया था कि यदि एक का लड़का और एक की लड़की होगी तो इनकी शादी कर हम समन्धी बन जायेंगे | किन्तु एक और कथा भी प्रचलित है जिसमे कहा गया है कि राजुली बहुत ही गरीब घर की लड़की थी और उसके परिवार वाले भेड़ पालक थे| यही इनका जीविका का साधन था | राजुली बहुत ही खूबसूरत कन्या थी जिसकी खूबसूरती के बारे में राजा मालूशाही ने भी सुन रखा था किन्तु उसे कभी देखा नहीं था |
      एक दिन राजुली अपनी माँ से पूछती है कि हमारे देश में सबसे श्रेष्ठ, सुन्दर और शक्तिशाली राजा कौन है ? उसकी माँ उसे बतलाती है कि ऐसा राजा केवल मालूशाही है |ऐसा सुनकर उसके मन में मालूशाही के प्रति प्यार उमड़ पड़ता है और वह मन ही मन सोचती है कि एक बार वह राजधानी जाकर मालूशाही को अवश्य देखेगी |
       एक बार उसके पिता राजधानी जाने की बात करते हैं तो वह भी जिद कर शहर आती है और ईश्वर की कृपा से उसकी मुलाक़ात राजा मालूशाही से हो जाती है |
       प्रस्तुत है इसी कहानी पर आधारित नृत्य- नाटिका | लय- ऊंचा लखनऊ पूरा रैन्दू माधो सिंह भंडारी और भष्मासुर नृत्य नाटिका आदि |

राजुली -    माँजी मेरी त्वेई पूछदू मैं एक सवाल |
       राजों मा कौ राजा माँजी को कुमौं गढ़वाल ||

गांगुली (राजुली की माता )-
           डाल्यों मा सबसे बड़ी जनि पीपल डाली |
          राजों मा कौ राजा उनी राजा मालूशाही ||

                     राजुली त अब सुपिन्यों मा ख्वैगी |
राजा मालूशाही अब मन मा बसीगे ||

राजुली मन मा एक बात सोचदी |
घुमण जौला नगर बाबा तैं पूछदी ||

राजुली - सुणल्या बाबा प्यारा मेरा विनती सुनौन्दू | 
          अपना दगड़ा मैं ली चला नगर घुम्योंदू  ||

सुनपति (राजुली के पापा )-
         क्या करली क्या देखली जैक तू नगर |
          तेरु जाणू ठीक नीच बाली च उमर || 

राजुली त दणमण रोण लगीगे|
आन्ख्यों बाटी मोती टपकौण बैठीगे|| 

सुनपति - रो ना लाड़ी गाड़ स्यून्द हम नगर जौला|
          रूम्दा झुम्दा द्वी मापत नगर घुम्योला ||

नगर मा जैक टपराण लगीगे |
मालूशाही नि देखी सोच मा पड़ीगे ||

राजुली गै भेरा चरोंण रहप का छाला | (रहप-नदी का नाम)
पाणी मा परछाया बणी जनि देवी सी बाला || 

विधाता न वींकी पुकार सुणी ले |
घुमदु फिरदु राजा वखि मू पौन्छीगे ||
परछाया देखीक छल्ये सी गैई |
समझी वीतैं देवी सेवा लै गैई ||
( समझी वीतैं देवी प्रणाम कै गैई ||)

मालूशाही - पाणी मकै देवी बतौ मुखड़ी दिखौ दू |
            भैर ऐक देवी मीतैं आशीष तू दे दू ||

राजुली - कैको बेटा सीधो- साधो जैन मै नी पछाणी|
            सुनपति की बेटी छौं राजुली मैं जाणी ||

मालूशाही - बैराठ देश कू छौं राजा मालूशाही |
          सुपिन्यों मा रै सदानी आज देखी द्याई ||

राजुली को मन फुर्र  उड़ीगे |
तै राजा तैं सारी माया दी गैगे ||
(मालूशाही तैं सारी माया दी गैगे ||)

राजुली- अपणा गैल राख्यां मीतैं दासी बणी जौलु |
          खोट्यों मा रौलू सदानी अर सेवा करलू ||

मालूशाही - मन मंदिर बनैक तेरी पूजा मैं करलू |
        जन्म-जन्मू की माया मैं त्वै तैं दी जौलू ||

सूरज भी छिपण लगी पश्छिम की ओर |
बिना ग्वैर भेरा लौट्या डेरा की ओर ||

लगुली जनि डाली मा लिपटी सी गैई |
राजा की भेन्टुली मा सुध नि रैई ||
 
          

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